राजस्थान में लोक संतो की प्रमुख दो भक्ति धाराएं हैं
1. निर्गुण भक्ति धारा 2. सगुण भक्ति धारा
निर्गुण भक्ति धारा के प्रमुख संत एवं संप्रदाय निम्न लिखित है :-
1.संत पीपाजी (1425ई.)
2.संत धन्नाजी (1415ई.)
3.परनामी सम्प्रदाय (प्राणनाथ जी)
4.गुदड़ सम्प्रदाय संतदास जी
5.अलखिया संप्रदाय (स्वामी लाल गिरी )
6. लालदासी संप्रदाय ( संत लालदास जी )
7. नीरजनी संप्रदाय (संत हरिदास जी )
8.विश्नोई संप्रदाय (संत जांभोजी )
9.दादू पंथ (संत दादू दयाल जी )
10.रामस्नेही संप्रदाय की मुख्य चार पीठ :-
1.शाहपुरा शाखा (संत रामचरण जी ) 2.रेण शाखा ( संत दरियाव जी ) 3.सिंहथल शाखा (हरिरामदास जी )
4.खेड़ापा शाखा (संत रामदास जी )
11.तेरापंथी संप्रदाय (संत भीक्षु भीखण जी )
2.सगुण भक्ति धारा के प्रमुख संत एवं संप्रदाय निम्न लिखित है :-
1.शैव संप्रदाय (A)कापालिक (B) पाशुपत (C) लिंगायत (D)कश्मीरक
2. नाथ संप्रदाय
3.जसनाथी संप्रदाय ( संत जसनाथजी )
4. वैष्णव संप्रदाय (A) रामानुज / रामानंदी संप्रदाय (रामानुजाचार्य)
5.निंबार्क संप्रदाय / हंस संप्रदाय ( निंबार्काचार्य )
6. वल्लभ संप्रदाय (वल्लभाचार्य जी )
7. गौड़ीय / ब्रह्मा संप्रदाय ( स्वामी माध्वाचार्य )
8.मीराबाई (दासी संप्रदाय )
9. गवरी बाई (वागड़ की मीरा )
10.भक्त कवि दुर्लभ
11. संत मावजी (निष्कलंक संप्रदाय )
12.संत राजारामजी
13.चरणदासीजी (चरणदासी पंथ )
1.संत पीपाजी
गागरोन के राजा कड़वा राव खींची के यहां 1425 ई. में जन्म
-पीपा जी के बचपन का नाम प्रतापसिंह था |
- राजस्थान में भक्ति आंदोलन की शुरुआत करने वाले पहले संत थे |
-इनके गुरु रामानंद थे |
- इन्होंने मोक्ष का साधन भक्ति को माना है |
-समदड़ी बाड़मेर में इनका विशाल मंदिर है |
- यह दर्जी समुदाय के आराध्य देवता है |
-टोडा ग्राम (टोंक ) में इन्होंने त्यागी ,जो आज संत पीपा जी की गुफा के नाम से प्रसिद्ध है |
2.संत धन्ना जी (1415 ई.) :- टोंक जिले के धुवन गांव में जाट परिवार में जन्मे संत धन्ना बनारस जाकर के रामानंद की शिष्य बन गए |
गुरु अर्जुन देव द्वारा संपादित " आदि ग्रंथ " में संत धन्ना द्वारा रचित चार पद संग्रहित है |
3.परनामी सम्प्रदाय (प्राणनाथ जी ) :-
-जामनगर (गुजरात )में जन्मे प्राणनाथ जी ने गुरु निजानंद से दीक्षा लेकर परनामी संप्रदाय की स्थापना की |
- इनके उपदेश " कुंजलम स्वरूप " में संग्रहित है ,यह कृष्ण के निर्गुण स्वरूप को मानते हैं |
-परनामी संप्रदाय की प्रधान पीठ -पन्ना(मध्यप्रदेश ) में स्थित है |
जयपुर में इस संप्रदाय का विशाल मंदिर है |
4.गुदड़ संप्रदाय (संत दास जी )-
-इस संप्रदाय की प्रधान पीठ दांतड़ा गांव (भीलवाड़ा में )है |
-संत दास जी गुदड़ी के बने कपड़े पहनते थे इसलिए संप्रदाय का नाम गुदड़ संप्रदाय पड़ा |
5.अलखिया संप्रदाय :- अलखिया संप्रदाय (स्वामी लालगिरी) - चुरू जिले के गांव में जन्मे लाल गिरी ने अलख संप्रदाय के प्रवर्तन किया |इनकी समाधि (गलता गांव जयपुर में )है |
-इस संप्रदाय की प्रधान पीठ -बीकानेर में है |
- " अलख प्रस्तुति प्रकाश " इस संप्रदाय का प्रमुख ग्रंथ है |
6.लालदास जी सम्प्रदाय (संत लालदास जी) :-
-लाल दास जी का जन्म धौली गांव (अलवर में) मेव परिवार में हुआ |
-उनके गुरु गदन चिश्ती थे
-नगला गांव( भरतपुर में) इस संप्रदाय की प्रधान पीठ है |
-इस संप्रदाय के साधु स्वयं कमा कर खाते हैं |
7.निरजनी संप्रदाय (संत हरिदास जी ) :-
-संत हरिदास जी का जन्म (गांव डीडवाना ) कपड़ोद नागौर में जन्मे हरिदास जी डकैती का कार्य छोड़ कर सन्यासी बन गये |
- निर्जन संप्रदाय की प्रधान पीठ -गाढ़ा डीडवाना में स्थित है |
-जांभोजी का जन्म 1451ई. में पीपासर गाँव नागौर में हुआ |
-उनके पिता का नाम लोहट जी और माता का नाम हंसा देवी था |
-संत जांभोजी का मूल नाम धनराज था |
-इन्होंने 1485 में समराथल धोरा (बीकानेर में)
-विश्नोई संप्रदाय की स्थापना की ,उन्होंने 29 नियम बनाये |
-जंभ संहिता ,विश्नोई संप्रदाय की स्थापना की उन्होंने 29 नियम बनवाई जंभ संहिता ,जम्भ सागर शब्दवाणी व विश्नोई धर्म प्रकाश जांभोजी द्वारा रचित ग्रंथ है|
- पर्यावरण प्रेमी के कारण जांभोजी को पर्यावरण वैज्ञानिक माना जाता है |
-इनके अनुयायी हरे पेड़ नहीं काटते हैं और जीवों की रक्षा करते हैं |
-जांभोजी ने 1534 में बीकानेर जिले के नोखा तहसील के मुकाम तालवा गांव में समाधि ले ली |
-विश्नोई संप्रदाय की प्रधान पीठ और मुख्य तीर्थ यही है |
-इस संप्रदाय के अन्य तीर्थ -पीपासर (नागौर ),रामड़ावास (जोधपुर ),जाम्भा (फलोदी, जोधपुर), लालासर (बीकानेर) में है |
9.दादू पंथ( संत दादू दयाल ):-
दादू दयाल का जन्म 1544 में अहमदाबाद में हुआ | कबीर के शिष्य वृंदावन इनके गुरु थे |
संत दादू को राजस्थान का कबीर कहा जाता है |
दादू पंथ की प्रधान पीठ जयपुर जिले के सांभर तहसील के नरेणा गांव (नारायण गाँव) में हुआ |
दादू जी ने नरेणा में भैराणा पहाड़ी में समाधि ले ली ,जिसे " दादू खोल "कहते हैं |
दादू पंथ के सत्संग स्थल -" अलख दरीबा " कहलाता हैं |
1585 ई.अकबर द्वारा धार्मिक विचार विमर्श के लिए आमंत्रित करने पर दादू दयाल ने फतेहपुर सीकर में अकबर से भेंट की |
1.संत रजब- सांगानेर में जन्मे दादू जी के शिष्य जो आजीवन दूल्हे के वेश में रहे |
रजब पंथियों की प्रमुख गद्धी सांगानेर (जयपुर में )है |
2.संत सुंदरदास -दौसा में जन्मे दादू के प्रमुख शिष्य है , जिन्होंने दादू पंथ में नागा साधु वर्ग प्रारंभ किया था |
3.संत गरीबदास :-दादू दयाल के बाद गद्दीपति बने गरीबदास जी दादू दयाल के पुत्र थे |
दादू पंथ में खालसा ,विरक्त ,उत्तरादे ,खाकीऔर नागा इत्यादि प्रमुख शाखाएं है |
10.रामस्नेही संप्रदाय :-
रामानंद के चार शिष्यों ने राजस्थान में 4 स्थानों पर रामस्नेही संप्रदाय का प्रारंभ किया इनकी प्रधान गद्धी शाहपुरा भीलवाड़ा में है |
रामस्नेही साधु गुलाबी वस्त्र पहनते हैं ,इनके पूजा स्थल रामद्वारा कहलाता है |
इस संप्रदाय की चार पीठ -शाहपुरा (भीलवाड़ा) ,रेण (नागौर) ,सिंहथल (बीकानेर) और खेड़ापा (जोधपुर) में
(A)शाहपुरा शाखा (संत रामचरण जी )सोडा गांव जयपुर में जन्मे राम चरण जी के बचपन का नाम रामकिशन था, इन्होंने मेवाड़ के दांतडा में संत कृपाराम जी से दीक्षा लेकर शाहपुरा में रामस्नेही संप्रदाय की गद्दी स्थापित की |
रामचरण जी के उपदेश " अनभैवाणी ग्रंथ "में संकलित है |
शाहपुरा में रामद्वारा में प्रतिवर्ष फूलडोल उत्सव आयोजित किया जाता है |
(B) रेण शाखा (दरियाव जी ) -जैतारण पाली में जन्मे दरियाव जी ने गुरु प्रेमदास जी से दीक्षा लेकर रेण नागौर में रामस्नेही संप्रदाय की पीठ स्थापित की ,उन्होंने राम रहीम को एक मानकर हिंदू-मुस्लिम समन्वय किया |
(C) सिंहथल शाखा (हरिराम दास जी ) रामसनेही संप्रदाय की सिंहथल पीठ के संस्थापक हरिराम दास जी का जन्म सिंहथल में हुआ |
संत जैयमलदास ने इन्हे रामस्नेही संप्रदाय में दीक्षित किया |
(D)खेड़ापा शाखा(संत रामदास जी ) :-जोधपुर के भीकमकोर गांव में जन्मे रामदास जी ने सिंहथल के हरिराम दास जी से दीक्षा लेकर खेड़ापा (जोधपुर )पीठ की स्थापना की |
11.तेरापंथी संप्रदाय ( संत भिक्षु भीखंण जी) :- संत भीखंण जी ओसवाल का जन्म 1783 ईस्वी में एक कटारिया गांव सोजत( पाली में) हुआ |
- इन्होंने जैन धर्म के श्श्वेताबर शाखा में तेरापंथी संप्रदाय की स्थापना की |
-संत भीखंण जी की समाधि -सिरियारी पाली में है ,जो इस पद का सबसे बड़ा केंद्र है |
🟋🟋आचार्य तुलसी -तेरापंथ के नवे आचार्य तुलसी का जन्म लाडनूं (नागौर में) हुआ |
- " जैन विश्व भारती संस्था " की स्थापना की ,उन्होंने जनसाधारण के नैतिक उत्थान और आध्यात्मिक मूल्यों की स्थापना के लिए " अनुव्रत आंदोलन " नाम से राष्ट्रीय स्तर पर वैचारिक क्रांति आरंभ की |
🟋🟋आचार्य महाप्रज्ञ - तेरापंथ के 10 वें आचार्य महाप्रज्ञ का जन्म टमकोरा (झुँन्झुनूँ) मेंऔर महाप्रयाण सरदारशहर (चूरू) में हुआ |
-प्रेक्षा ध्यान के अविष्कार और जीवन विज्ञान का अनूठा प्रयोग करने वाले आचार्य महाप्रज्ञ ने अहिंसा यात्रा के माध्यम से देश को नई दिशा दी |
🟋🟋आचार्य महाश्रमण मुदित कुमार :-तेरापंथ के वर्तमान में 11 आचार्य हैं, इनका जन्म सरदारशहर (चूरू) में हुआ है |
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