राजस्थान में प्रमुख महल |Rajasthan Ke Pramukh Mahal in Jaipur

राजस्थान में प्रमुख महल |Rajasthan Ke Pramukh Mahal in Jaipur

 राजस्थान के प्रमुख महल Rajasthan ke Pramukh Mahal

1.मुबारक महल :-

जयपुर के राज प्रसादो में  इमारतों में यह सबसे नया महल है, इसका निर्माण सवाई माधो सिंह द्वितीय ने 1990 में अपने अंग्रेज मेहमानों के स्वागत में ठहरने के लिए कराया था |

 यह मेल चुने तथा पत्थरों से बना है, किंतु इस बार इसकी बाहरी  प्रारूप ऐसा दिखाई देता है ,जैसे लकड़ी का बना हुआ है ,महल की ऐसी बनावट पत्थरों की बारीक कारीगरी के कारण दिखाई देती है

 इस महल में  मुग़ल ,यूरोपीय तथा राजपूत स्थापत्य कला का अद्भुत समन्वय दिखाई देता है |

मुबारक महल सवाई मानसिंह द्वितीय के काल तक विद्वानों की परिचर्चा का केंद्र रहा, तथा वर्तमान में यह शाही पुस्तकालय के रूप में जाना जाता है |

Rajasthan ke pramukh mahal, Rajasthan ke mahal                                    चित्र :- मुबारक महल Rajasthan ke pramukh mahal


2.चन्द्रमहल सिटी पैलेस(राजमहल) :-इस महल का निर्माण सवाई जयसिंह के आज्ञा से जयपुर के वास्तुकार विद्याधर चक्रवर्ती ने करवाया

 यह में 7 मंजिल बना हुआ है ,इस महल के सबसे नीचे की मंजिल(पहली मंजिल) चंद्र महल भूतल पर बना हुआ है, चंद्र महल के बरामदे की दीवार पर जयपुर के राजा के पूरे आकार के चित्र बने हुए हैं |

महल की साज-सज्जा मानसिंह द्वितीय ने जर्मन कलाकार ए.एच. मुल्लर ने करवाई, इस महल की दूसरी मंजिल -सुख निवास (सवाई जयसिंह की रानी सुख कँवर के नाम पर )

 तीसरी मंजिल को रंग मंदिर 

चौथी मंजिल को शोभा निवास 

पांचवी मंजिल को छवि निवास

छठी मंजिल को 'श्रीनिवास ' तथा 

सातवी मंजिल को  मुकुट मंदिर कहा जाता है |

सिटी प्लेस में विश्व के सबसे बड़े चांदी के पात्र  रखे हुए हैं, यहां स्थित इमारतो में मुबारक महल ,सिलह खाना, दीवाने -ए-आम ,दीवान -ए-खास ,पोथीखाना विशेष प्रसिद्ध है यहां स्थित दीवाने -ए-आम में महाराजा का निजी पुस्तकालय या पोथीखाना है |

इसे चंद्र महल कहते  है| यह जयपुर राजपरिवार का निवास स्थान है |


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चित्र :- चन्द्रमहल सिटी पैलेस (राजमहल )


3.हवा महल :-हवा महल इस महल का निर्माण 1799 में सवाई प्रताप सिंह ने करवाया |
 इस महल का प्रमुख वास्तुकार लालचंद उस्ता थे, यह महल राधा -कृष्ण को समर्पित तथा  यह महल मुकुट का आकार का है ,
इसी कारण कर्नल जेम्स टॉड में इस महल को  कृष्ण का मुकुट कहा |
 इस महल की ऊंचाई 88 फीट है तथा इस महल में 365 जाली-झरोखे 953 खिड़कियां  है इसी कारण इसे एयर दुर्ग कहते हैं | 
इस दुर्ग महल की मुख्य दीवार की चौड़ाई 1 फुट से  कम है ,महल की 5 मंजिले 
1.शरद मंदिर
2. रतन मंदिर 
3.विचित्र मंदिर 
4.प्रकाश मन्दिर
5.हवा मन्दिर

यह महल बलुआ पत्थर  तथा चुने  निर्मित किया गया है |1983 में इसके पिछले हिस्से में राज्य सरकार द्वारा हवामहल म्यूजियम का संचालन किया जा रहा है  | इस महल की सुन्दरता का वर्णन करते हुए एडविन आलौल्ड
ने लिखा है कि " आलदीन का जिन भी इससे अधिक मोहक निवास स्थान का सर्जन नही कर सकता है  |


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 चित्र :-हवा महल Rajasthan ka hava mahal