राजस्थान के प्रमुख लोक देवता रामदेव जी ,Rajasthan ke parmuk lok devta ramdev ji

राजस्थान के प्रमुख लोक देवता रामदेव जी ,Rajasthan ke parmuk lok devta ramdev ji

                                  🟋🟋🟋✰✰ राजस्थान के प्रमुख लोक देवता           🟋🟋🟋✰✰


समय-समय पर उत्कृष्ट कार्य, बलिदान , उत्सर्ग या परोपकार करने वाले महापुरुषों को लोक देवता या पीर का जाता है |

राजस्थान के पंच पीर - पाबूजी, हड़बूजी ,रामदेव जी ,मांगलिया मेहाजी ,गोगा जी 

पांचो पीर  -  "पधारजो गोगा जेहा "



                                                               

 बाबा रामदेव :- बाबा रामदेव का जन्म 1352 ईस्वी  (विक्रम संवत 1409  )उंडू कासमेर  (बाड़मेर ) में भाद्रपद शुक्ल दितीया  (बाबे री बीज ) को तंवर वंश राजपूत परिवार में हुआ था इसके पिता का नाम ठाकुर अजमाल, माता का नाम मैनादे ,बड़े भाई का नाम वीरमदेव (बलराम के अवतार ) था ||

इनका विवाह अमरकोट ( वर्तमान में पाकिस्तान में  )के सोडा दल्ले सिंह की पुत्री निहालदे या नेतल दे साथ हुआ  | बाबा रामदेव मल्लिनाथ जी के समकालीन थे ,माना जाता है ,कि  मल्लीनाथ जी ने इन्हें पोकरण क्षेत्र जागीरी में प्रदान दिया ||

 बाबा रामदेव ने अपने अपनी भतीजी को दहेज में देकर रुणिचा रामदेवरा नामक नया निवास स्थान बनाया ,उन्होंने बाल्यकाल में ही पोकरण जैसलमेर में गोधन का नाश करने वाले भैरव नामक राक्षस का वध किया ||

 बाबा रामदेव को संप्रदायिक सद्भाव के लोक देवता ,रुणिचे का धणी,पीरों का पीर हिंदू धर्म में कृष्ण का अवतार, मुस्लिम समुदाय में  " रामसापीर  "आदि नाम से जाना जाता है | बाबा रामदेव  जी बालिनाथ जी के शिष्य  थे ,जिन्होंने कमडिया पंथ की स्थापना की | कामङ जाति के लोग रामदेव जी की प्रिय भक्त हैं  |

रामदेव जी के मेले में  कामङ जाति  की महिलाएं तेरहताली मंजीरे के साथ तेरहताली नृत्य करती है  |

रामदेव जी हिंदू धर्म के प्रबल समर्थक थे ,उन्होंने हिंदू धर्म को शुद्ध करने के लिए शुद्धि आंदोलन चलाया | 

 ⌧⌧ यह भी जाने  ? 💬⌧⌧ 

रामदेव जी के जीवन की चमत्कारी घटना को परचा / परचे ,रामदेव जी के धार्मिक स्थल पर इनकी पांच रंग की /पंचरंगी  ध्वजा-पताका  / ध्वज  "नेजा  "और इनका प्रमुख वाहन " नीला घोड़ा " है  |

इसके प्रतीक चिन्ह  " चरण  "चिन्ह   " पगलिया " कदब के वृक्ष के नीचे स्थापित किए स्थान को थान ,रामदेव जी के मंदिर को  " देवरा  " रामदेव जी के प्रिय भक्त यात्री   "जातरू " रामदेव जी द्वारा शोषण के विरुद्ध चलाया गया जन जागरण अभियान " जमा जागरण   " एवं रामदेव जी के किए गए किए जाने वाला रात्रि जागरण जम्मा कहलाता है  |

रामदेव जी एकमात्र ऐसे लोग देवता थे ,जो कवि भी थे, उनके द्वारा रचित 24 वाणी या चोबीस  वाणियां है  |

✫✫✫ रामदेवजी  मेघवाल जाति   " डाली बाई  "को धर्म  बहन बनाया  |
✫✫✫  मेघवाल जाति के भक्त रिखिया  कहलाते है |

 रामदेव जी के मंदिरों में कपड़े का घोड़ा बनाकर अर्पित किया जाता है, |इन्होंने राम सरोवर की पाल रुणिचे में समाधि ली ,इसकी बहन डाली बाई  ने यहा  1 दिन पहले समाधि ली थी  |डाली बाई का मंदिर इन की समाधि के समीप स्थित है  |

रामदेव जी की   वास्तविक  बहन सुगना बाई , जिसका विवाह पूंगलगढ़  के परिहार राव किशन सिंह से हुआ |

  रामदेव जी की फड़   -बीकानेर  व जैसलमेर में  ' ब्यावलो भक्तों '  के द्वारा की जाती है | रामदेव जी के  वंशज  मृतक व्यक्ति  को दफनाते    है |

रामदेव जी का मेला -रुणिचा रामदेवरा में प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल द्वितीया से एकादशी तक लगता है |


                                   ** रामदेव जी के प्रमुख मंदिर  **


 ( अ ) रामदेवरा  ( जैसलमेर )   :-यहां रामदेव जी ,डाली बाई की समाधि स्थल है ,है जहां प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल  द्वितीया  को  मेला लगता है |

(ब)  छोटा रामदेवरा  -गुजरात में स्थित है  |

(स) बराठिया का मंदिर ( अजमेर  ) यह अजमेर जिले के  ' बर  'नामक स्थान पर स्थित है प्रतिवर्ष भाद्रपद   शुक्ल एकादशी को मेला लगता है  |

(द) सुरता खेड़ा( चित्तौड़गढ़ ) प्रतिवर्ष भाद्रपद  शुक्ल प्रथमा से तृतीया तक मेला लगता है  |

(क) मसूरिया  -जोधपुर    (ख )अधरशिला मंदिर  (जोधपुर )