राजस्थान के राज्यपाल एवं राजभवन (Governer and Raj Bhavan )

राजस्थान के राज्यपाल एवं राजभवन (Governer and Raj Bhavan )

                       राजस्थान राजनीतिक एवं प्रशासनिक व्यवस्था 2020-21





   राजस्थान के राज्यपाल एवं राजभवन (Governer and Raj Bhavan )

💨भारतीय संविधान में राज्यों के लिए भी संघ के समान संसदात्मक शासन प्रणाली अपनाई गई है जिसमें  दोहरी  कार्यपालिका पाई जातीहै |

 अर्थात राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रधान होता है ,जबकि मंत्री परिषद सहित मुख्यमंत्री राज्य की कार्यपालिका का वास्तविक प्रधान होता है |
-भारतीय संविधान के 6 (छठे )भाग के अनुच्छेद  153 से 167 तक राज्य कार्यपालिका के बारे में बताया गया है |

 -राज्य कार्यपालिका में राज्यपाल, मुख्यमंत्री ,मंत्री परिषद और राज्य के महाधिवक्ता (एडवोकेट जनरल )होते हैं 

अनुच्छेद 153 के अनुसार- प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्यपाल होगा |

 सातवें (7)संविधान संशोधन 1956 के द्वारा यह प्रावधान  जोड़ा गया है कि एक ही व्यक्ति को दो या दो से अधिक राज्यों का राज्यपाल भी नियुक्त किया जा सकता है |
💨राज्य के समस्त कार्य  औपचारिक रूप से राज्यपाल के नाम से किए जाते हैं|
 राज्यपाल मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है, तथा मुख्यमंत्री के परामर्श से अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है |
 राज्यपाल राज्य के उच्च अधिकारियों से महाधिवक्ता , लोक सभा आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों की नियुक्ति, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति में राष्ट्रपति को परामर्श देता है |
 राज्यपाल आवश्यक समझे जाने पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश करता है एवं राष्ट्रपति शासन के समय व केंद्र सरकार के अभिकर्ता के रूप में राज्य का शासन चलाता है |

💨राज्यपाल राज्य के विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति होता है तथा कुलपतियों की नियुक्ति करता है |

             ** राज्यपाल की कार्यपालिका शक्ति   **


अनुच्छेद 153 के अनुसार- प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्यपाल होगा |

 अनुच्छेद 154 के अनुसार -किसी राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में  निहित होगी ,उसका प्रयोग उस संविधान के अनुसार स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के द्वारा  करेगा| 

 राज्यपाल की नियुक्ति :-
अनुच्छेद 155 के अनुसार :- राज्य के राज्यपाल को राष्ट्रपति अपने हस्ताक्षर या मुद्रा सहित अधिपत्र द्वारा नियुक्ति करेगा  |
-इस प्रकार राज्यपाल केंद्र सरकार द्वारा मनोनीत होता है ,किंतु वास्तव में राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा प्रधानमंत्री की सिफारिश पर की जाती है |

 राज्यपाल की नियुक्ति के संबंध में दो परंपराएं निहित है :-

1.राष्ट्रपति ऐसे व्यक्ति को राज्यपाल नियुक्त नहीं करेगा जिसका वह निवासी है |
 2.राष्ट्रपति राज्यपाल की नियुक्ति से पहले संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री से परामर्श करता है |वस्तुतः राज्यपाल केंद्र सरकार द्वारा नामांकित व्यक्ति  (प्रतिनिकेंद्र सरकार के अधीन नहीं धि) होता है, परंतु वह होता है,

 -राज्यपाल का पद एक स्वतंत्र संवैधानिक पद है 


राज्यपाल की पदावधि एवं पद त्याग :-

💨अनुच्छेद 156 के अनुसार -राज्यपाल अपने पद ग्रहण करने की तारीख से 5 वर्ष ,लेकिन राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत पद धारण करेगा |
 हलांकि राज्यपाल अपने पद की अवधि समाप्त हो जाने पर तब तक पद धारण करेगा, जब तक उसका उत्तराधिकारी अपना पद ग्रहण नहीं कर लेता |
💨 राज्यपाल राष्ट्रपति को संबोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा अपना पद त्याग सकेगा  |
नोट  :-  राज्यपाल को पद से हटाने के आधार पर संविधान में कोई उल्लेख नहीं किया गया है  |


            राज्यपाल की नियुक्ति होने के लिए अर्ह्र्ताए :- 

अनुच्छेद157 के अनुसार -कोई व्यक्ति राज्यपाल नियुक्त होने का पात्र तभी होगा  :-
1.जब वह भारत का नागरिक हो |
2.35 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो  |

राज्यपाल के पद हेतु शर्तें  :-

158 अनुच्छेद के अनुसार  :-(1)राज्यपाल संसद के किसी सदन का या पहली अनुसूची में विनिर्दिष्ट किसी राज्य के विधान मंडल के किसी सदन का सदस्य नहीं होगा, और यदि संसद के किसी'सदन का या ऐसे किसी राज्य की विधान मंडल के किसी सदन का सदस्य राज्यपाल नियुक्त हो जाता है ,तो वह स्वत: समझा जाएगा , कि उसने उस संसद में अपना स्थान राज्यपाल के रूप में पद ग्रहण करने की तारीख से रिक्त या खाली कर दिया है |
(2) .राज्यपाल अन्य कोई लाभ का पद धारण नहीं करेगा |
(3).राज्यपाल बिना किराए दिए अपने  शासकीय निवासो के उपयोग का अधिकारी होगा |
(4) (7)सातवें संविधान संशोधन अधिनियम 1956 द्वारा उप बंधित किया गया है ,कि जहां एक ही व्यक्ति को दो या दो से अधिक राज्यों का राज्यपाल नियुक्त किया जाता है ,वहां पर उस राज्यपाल को संदेह उपलब्धियां और भत्ते उन राज्यों के बीच ऐसे अनुपात में आवंटित किए जाएंगे , जो राष्ट्रपति आदेश द्वारा आवधारित करें  |
(5)राज्यपाल की उपलब्धियां वेतन आदि और भत्ते उनकी पदावधि के दौरान कम ने किए जाएंगे  |


नोट :- र्ष 2018 19 के केंद्रीय बजट में राज्यों के राज्यपाल का वेतन 3 लाख ₹50,000 (3.5 लाख) करने की घोषणा की गई  |


राज्यपाल द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान  :-

अनुच्छेद -159 के तहत -संविधान की तीसरी अनुसूची के अनुसार राज्यपाल के पद का कार्यपालन अथवा राज्यपाल के कृतियों का निर्वहन तथा अपनी पूरी योग्यता से संविधान और विधि का परिरक्षण ,संरक्षण और प्रतिरक्षण राज्य की जनता की सेवा और कल्याण में निरत रहने की शपथ लेता है  |

राज्यपाल को संबंधित राज्य के उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश अथवा उनकी अनुपस्थिति की दशा में वरिष्ठ न्यायाधीश पद की शपथ दिलाता है |

💨जिस प्रकार केंद्र में कार्यपालिका की शक्ति राष्ट्रपति में निहित है,उसी प्रकार राज्य की कार्यपालिका की शक्ति राज्यपाल में निहित होती है |

            




         ***राज्यपाल की शक्तियां तथा कार्य निम्नलिखित है  ***


कार्यपालिका शक्तियां  :-शासन का संचालन कार्यपालिका संबंधित समस्त कार्य राज्यपाल के नाम से किए जाते हैं |

👉राज्य सरकार के सभी कार्यों में औपचारिक रूप से राज्यपाल का नाम होता है  |

-राज्य सरकार के कार्यों से संबंधित वह नियमों का निर्माण करता है |

 अनुच्छेद 164 के अनुसार -राज्यपाल मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता है मुख्यमंत्री की सलाह पर मंत्री परिषद के अन्य सदस्यों की नियुक्ति करता है  |
राज्य के प्रत्येक मंत्री राज्यपाल के प्रसादपर्यंत धारण करता है ,राज्य के महाधिवक्ता तथा राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों की नियुक्ति करता है ,
 किंतु राज्यपाल राज्य लोक सेवा के सदस्यों को हटा नहीं सकता ,उन्हें सिर्फ राष्ट्रपति हटा सकता है  |

अनुच्छेद 217 के अनुसार :- राज्यपाल को राज्य की उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति करने का अधिकार तो नहीं है ,लेकिन इस संबंध में राष्ट्रपति राज्यपाल से  परामर्श करता है |

  (अनुच्छेद 233 ) -अधीनस्थ न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राज्यपाल उच्च न्यायालय के परामर्श से करता है 

 -राज्यपाल राज्य निर्वाचन आयुक्त को नियुक्त करता है और उनकी सेवा शर्तों तथा कार्यविधि तय करता है ,लेकिन राज्य निर्वाचन आयोग को विशेष मामलों या परिस्थितियों में उसी प्रकार हटाया जा सकता है जैसे उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाया जाता है |

-वह मुख्यमंत्री से प्रशासनिक मामला या विधायी योजना की जानकारी प्राप्त कर सकता है  |

-राष्ट्रपति से राज्य में संवैधानिक आपातकाल के लिए संस्तुति कर सकता है  |

राज्य में राष्ट्रपति शासन के दौरान उसकी कार्यकारी शक्तियां का विस्तार राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के रूप में होता है |

 वह राज्य के विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति होता है राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति करता है |