राज्यपाल की कार्यपालिक शक्तिया राज्य सूची के 66 विषय तक विस्तृत है |
राज्य सूची अर्थात राज्य विषय पर राज्य सरकार कानून बनाती है ,और जिस में अदालतों राज्य पुलिस ,जिला अस्पताल, सफाई, पशु, सिंचाई, सड़क ,वन एवं पुस्तकालय आदि आते है |
💨यदि राज्यपाल या अनुभव करें ,कि राज्य में संविधान के अनुसार शासन चलाना संभव नहीं है, राज्य में शांति भंग की स्थिति निर्मित हो गई है तो इस संबंध में राष्ट्रपति को सूचित कर के राज्य में राष्ट्रपति द्वारा आपातकाल की घोषणा कर देता है |
💨यदि राज्यपाल की राय में राज्य की विधानसभा में आंग्ल भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व आवश्यक है ,तो वह इस समुदाय का प्रतिनिधित्व पर्याप्त नहीं है, तो वह अनुच्छेद 333के अंतर्गत उस संविधान में एक आंग्ल भारतीय सदस्य का नाम निर्देशित कर सकता है |
अनुच्छेद 176 भाग (5 )के अनुसार -राज्यपाल दो सदन वाले विधानमंडल वाले राज्यों के विधान परिषद में कुल सदस्य संख्या के 1 /6 सदस्यों को नाम निर्दिष्ट करता है, जो साहित्य कला विज्ञान सहकारी आंदोलन और समाज सेवा के क्षेत्र में विशेष ज्ञान है ,व्यावहारिक अनुभव रखते हैं |
विधायी शक्तियां
राज्य विधानमंडल का अभिन्न अंग होता है
(अनुच्छेद 168 )
राज्यपाल की विधायी शक्तियां निम्नलिखित है :-
राज्यपाल विधान परिषद के कुल सदस्यों का छठा भाग को नामित कर सकता है, जिन्हें साहित्य विज्ञान कला सहकारिता आंदोलन और समाज सेवा का ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव हो | (अनुच्छेद 171)
अनुच्छेद के 333 -राज्य विधानसभा में एंग्लो इंडियन समुदाय का एक सदस्य नामित कर सकता है |
अनुच्छेद 174 -वह राज्य विधानसभा के सत्र को आहूत या सत्रावसान और विघटित गठित कर सकता है |
अनुच्छेद 175 -वह किसी सदन या विधानमंडल के सदनों को विचाराधीन विधाययाको याअन्य किसी मसले पर संदेश भेज सकता है
अनुच्छेद 176- वह विधान मंडल के प्रत्येक चुनाव के पश्चात प्रथम या प्रतिवर्ष के सत्र को संबोधित करता है |
अनुच्छेद 192 (2) -विधानसभा सदस्य की निरर्ह्र्ता के मुद्दे पर निर्वाचन आयोग से विमर्श करने के बाद वह उसका निर्णय कर सकता है |
विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद खाली होने पर वह विधानसभा के किसी सदस्यों को कार्रवाई हेतु नियुक्त कर सकता है |
वे राज्य के लेखों से संबंधित राज्य वित्त आयोग राज्य लोक सेवा आयोग नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट को राज्य विधानसभा के सामने प्रस्तुत करता है |
अनुच्छेद 200 केअनुसार-राज्य विधानमंडल द्वारा पारित विधेयक को पुन: राष्ट्रपति द्वारा अपने विचार के लिए राज्यपाल द्वारा आरक्षित करने की शक्ति है |
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