1. मीणा-जनसंख्या के आधार पर राज्य की सबसे बडी व शिक्षित जनजाति है , जो जयपुर, दौसा, सवाई माधोपुर आदि जिलों में निवास करती है |
मीणा का शाब्दिक अर्थ है मत्स्य या मछली। 1207 में कोकिल देव ने अजमेर में मीणा को परास्त कर अपनी राजधानी बनाया। उसके बाद से जयपुर में जब कोई भी नए राजा का राज्याभिषेक किया जाता है , तो सर्वप्रथम उसका राजतिलक मीणा जनजाति के सरदार द्वारा उसकी खून से किया जाता था।
जैनमुनि मगन सागर द्वारा लिखित मीणा पुराण में मीणाओं को भगवान मीन का वंशज बताया गया और इनके ग्रंथ में मीणा के 5200 गोत्र का वर्णन मिलता है जिसमें 24 खेपु में विभाजित है |
-राज्य में मुख्य मीणा को दो भागों में विभाजित किया गया है
भाग 1. जमींदार मीणा 2. चौकीदार मीणा।
1. (A) जमींदार मीणा रियासत काल में कृषि कार्य के लिए प्रसिद्ध थे ,जमीदार मीणा कानों में सोने की मुर्किया गले में बलेवडा तथा हाथ में चांदी के कड़े धारण करते है |
2.(B).चौकीदारी मीणा- चौकीदारी मीणा राजाओं की राजाओं की चौकी के लिए प्रसिद्ध थे |चौकीदारी मीणा लाल जेडीओ वाला साफा बांधते हैं ,और हाथ में लाठी रखते हैं ,इनकी स्त्रियां लाल रंग की लुंगड़ी घाघरा और कांचली के साथ कलाई से लेकर भुजा तक लाख का चूड़ा धारण करती है|
❂मीणा जाति के रीति रिवाज व शब्दावली *
👉मीणा जाति में परिवार का मुखिया ही सर्वेसर्वा होता है ,इनमें परिवार पितृसत्तात्मक पाए जाते हैं |
💨मीणा जनजाति में बाल विवाह का प्रचलन है ,शादी के बाद वह वयस्क बच्चों का गौना किया जाता है |
💨 मीणा जनजाति में नाता प्रथा प्रचलित है -इस प्रथा के अनुसार महिला यदि अपने जीवित पति को छोड़कर अन्य किसी पुरुष के साथ भाग जाए या रहने लगे तो इस प्रथा को नाता प्रथा कहते हैं |
👉 मीणा जनजाति में कोई पुरुष किसी शादीशुदा महिला को भगा कर ले जाए तो ,उस महिला का पूर्व पति मुआवजे के रूप में भगाकर ले जाने वाले से राशि वसूल करता है ,जिसे झगड़ा कहते हैं|
मीणा जनजाति में यदि पति पत्नी के झगड़े हो जाए और पति भरी पंचायत में गांव के मुख्य पटेल के सामने महिला के दुपट्टे का कुछ भाग फाड़कर पत्नी के हाथ में दे दे तो उसे छेड़ा फाड़ना कहते हैं |
-इसी खेड़ा फाड़ने के साथ पति पत्नी में तलाक मान लिया जाता है ,माना जाता है ,वह महिला अपने सिर पर पानी का घड़ा रखकर वहां से चलती है और रास्ते में जो व्यक्ति उसी घड़े को उतारता है ,उसका भावी पति होता है |
पति -पत्नी आपस में अपने अपने हाथ में एक दूसरे का नाम खुदवाते हैं
-मीणा जनजाति में मोरनी मांडना परंपरा का प्रचलन है |
-मीणा जनजाति में मित्र या सहेलियां का समूह गोटन है |
- तो वैवाहिक संबंधों में मध्यस्थता स्थापित करने वाले मामा फूफा या अन्य व्यक्ति बढालिया कहलाता है |
मीणा जनजाति में संकट के समय मुख्य से जोर की आवाज के साथ हथेली मारते हुए चिल्लाना किकमारी है ,
तो मीणा युवक के हाथ में रुमाल से बंधी लकड़ी गेली कहते हैं |
💨मीणा जनजाति में बटाईदार कृषि की व्यवस्था है ,इसमें छोटाबट या हांडीबट / हासिलबट बटाईदारकृषि के प्रकार है |
मीणा - शक्ति /दुर्गा के उपासक हैं |
मीणा की आराध्य देवी -बाण माता है |
मीणा की कुलदेवी -जीण माता है |
मीणा का लोक देवता -बुझदेवता ,इष्ट देव भूरिया बाबा है |
करौली जिले में भरने वाला केला देवी के मेला -चैत्र शुक्ल पक्ष अष्टमी पर मीणा जनजाति के द्वारा सामूहिक रूप से लांगुरिया नृत्य किया जाता है |
💨मीणा जनजाति का प्रयागराज धार्मिक स्थल रामेश्वरम सवाईमाधोपुर में है
💨रामेश्वरम सवाई माधोपुर में -चंबल -बनास -सीप तीनों नदियों का त्रिवेणी संगम है |
मीणा जनजाति का व्यक्ति- गोवर्धन पर्व पर अपने शस्त्रों का प्रयोग नहीं करता है |
मीणा जनजाति में पंचायत का मुख्य पटेल कहलाता है |
मीणा जनजाति की सबसे बड़ी पंचायत-" चौरासी (84 )" कहलाती है |
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