मेहरानगढ़ के किले का इतिहास ||जोधपुर के किले का इतिहास || History of Mehrangarh Fort of Jodhpur

मेहरानगढ़ के किले का इतिहास ||जोधपुर के किले का इतिहास || History of Mehrangarh Fort of Jodhpur

मेहरानगढ़नगढ़ के किले का इतिहास || History of Mehrangarh Fort of Jodhpur ||

जोधपुर दुर्ग की स्थापना राव जोधा ने 13 मई 1459 ई. को करवाई थी | इस दुर्ग  में नींव का पहला पत्थर  -रिद्धि बाई( करणी माता ) ने रखा | 

 यह दुर्ग जिस पहाङी  पर  चिड़िया नाथ नामक योगी तपस्या करता था | यह पहाङी   चिड़ियाटुंक पहाङी   कहलाने लगी  इसलिए इस पर बना दुर्ग चिड़ियाटुंक कहलाने  लगा |


 जोधपुर दुर्ग की काफी  विशालता  के  कारण इसे मेहरानगढ़ दुर्ग   कहा जाता है |  जोधपुर  दुर्ग   मयुर  की आकृति से बना हुआ है इसे  " मोरध्वजगढ़ " या  मयूरध्वजगढ़ " भी कहते हैं |

इस दुर्ग के अन्य नाम है  -गढ़ चिंतामणि ,सूर्यगढ़ तथा कागमुखी आदि के नाम से जाना जाता है |



इस दुर्ग की बनावट को देखकर रूडयार्ड किपलिंग ने कहा- इसका निर्माण  शायद परियों  व फरिश्तों ने किया है  \

ध्यान दें जोधपुर की  नींव में राजिया भाम्भी  को जिन्गदा गाढ़ा गया इस स्थान को पर आज  भी खजाना व नकारखाने निर्मित है |
- यह दुर्ग गिरि दुर्ग की श्रेणी में आता है |


जोधपुर दुर्ग के प्रमुख प्रवेश द्वार :-

1. जयपोल   2.  लोहा पोल     3.फतेहपोल

अन्य प्रवेश द्वार -अमृतपोल ,जोधा का फलसा, खांडी पोल ,सूरजपोल ,लोह पोल भैरोपोल, ध्रुव पोल आदि मेहरानगढ़ के अन्य दरवाजे है |


 1.जयपोल दुर्ग :- उत्तर पूर्व में बने जयपोल प्रवेश द्वार के निर्माण 808ई. में लगभग मान सिंह राठौड़ ने जयपुर और बीकानेर सेना को हराने के उपलक्ष में करवाया था यहाँ वीरगति को प्राप्त कीरत सिंह सोढा की है ,की याद में छतरी बनी हुई है |

 2.लोहा पोल :- लोहा पोल का निर्माण  ' राव मालदेव '  ने 1548 ई. में करवाया था  जिसे विजय सिंह जी ने पूरा करवाया इसके पास में दो योद्धा जो आपस में मामा भांजा ( धन्ना व भींवा )थे | 

धन्ना व भींवा की 10 खम्भों की छतरी बनी हुई है |जिसका निर्माण अजितसिंह राठौड़ ने  करवाया |


3.फतेहपोल :-इस पोल का निर्माण जोधपुर दुर्ग के दक्षिण पश्चिम में बने फतेह प्रवेश का निर्माण जोधपुर पर मुगल खालसा उठा दिए जाने के उपलक्ष में अजीत सिंह राठौड़ ने करवाया |
  

जोधपुर दुर्ग के इतिहास के प्रमुख युद्ध  || JODHPUR DURG KE ITISHAS KE PRAMUKH YUDH :-

1. गिरी-सुमेल  का युद्ध :- मालदेव व शेरशाह सूरी के मध्य 1544 ईसवी में का  प्रसिद्ध युद्ध हुआ था इस युद्ध के उपरांत शेरशाह सूरी ने कहा था-बराह एक मुश्त- एक बाजरा बादशाही हिंदुस्तान का बरबाद बुदेम यानी  -एक मुट्ठी बाजरे के लिए मैं हिंदुस्तान की  बादशहात खो बैठता |


2.भांगेसर  का युद्ध :-    15 46 में  मालदेव व अफ़गानों के मध्य हुआ | जिसमें अफ़गानों को हराकर मालदेव ने जोधपुर पर पुनः अधिकार कर लिया |


 जोधपुर दुर्ग के प्रमुख महल Jodhpur Durg Ke Pramukh Mahal :-

1.सिणगार चौकी (  श्रृंगार चौकी ) :-  निर्माण  -तख्त सिंह ने
 
 विशेषता :-जोधपुर के राजाओं का राज तिलक होता था





2.मोती महल :-इसका निर्माण 1545ई. में महाराजा सुरसिंह ने करवाया

 जो सुनहरी अलंकरण व संजीव चित्रांकन  (सोने की बारीकी काम के लिए ) प्रसिद्ध है |
 इसकी छत में दीवारों पर सोने की पोलिस का बारीक काम महाराजा तख्त सिंह ने करवाया | 

3.फतेह महल :- इसका निर्माण जोधपुर से मुगल खालसा  उठाने के उपलक्ष में महाराजा अजीतसिंह ने करवाया  |


5.फूलमहल :- इसका निर्माण 1724ई. में महाराजा अभयसिंह ने करवाया ,जो पत्थर पर बारीकी खुदाई और कोराई लिए प्रसिद्ध है 



                          जोधपुर दुर्ग का फूलमहल


6.तलहटी  महल :-इसका निर्माण सुरसिंह ने करवाया |

7.खबका महल  :-  इसका पूरा नाम ख्वाबगाह है |


तख्त सिंह ,विलास महल, बीचला महल, दौलत खाना .चौखेलाव महल, तोपखाना ,रनिवास ,रंग महल सिलहखाना,जनाना महल तथा महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश पुस्तकालय  आदि मेहरानगढ़ दुर्ग के प्रमुख भवन है |



 8. जसवंत थङा :-मेहरानगढ़ दुर्ग की तलहटी में स्थित  सरदार सिंह ने 1906 ई. में जसवंत सिंह द्वितीय की याद में ( स्मृति में  )करवाया 



                                                   


-जसवंत थङा को राजस्थान या मारवाड़ का ताजमहल भी कहा जाता है |


जोधपुर दुर्ग प्रमुख मस्जिद  Jodhpur Durg Ki Pramukh Maszid


 1. सूरी मस्जिद   :- इसके निर्माण 1544ई. में शेरशाह सूरी ने जोधपुर दुर्ग विजय के उपरांत करवाया |
2. जहूर खां की मजार  
भूरे खां की मजार


जोधपुर के प्रमुख मंदिर Jodhpur  ke Pramukh Mandir 

1.चामुंडा माता का मंदिर  :-इसके निर्माण राव जोधा ने करवाया और इसके जीर्णोद्धार है कि तख्तसिंह ने करवाया |
 चामुंडा माता के मंदिर में हुई भगदड़ 30 सितंबर, 2008 में आशिवन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा नवरात्र के दिन 224 लोगों की भगदड़ में मौत हो   गयी |
  इस घटना की जांच हेतु जस्टिस  जसराज चोपड़ा समिति का गठन किया गया  |


2.मुरली मनोहर जी  व आनंद धनजी  का मंदिर  दोनों मंदिर अभयसिंह के शासनकाल में बनवाया |

3. नागणेची माता का मंदिर :-  जोधपुर में मेहरानगढ़ दुर्ग में राठौड़ों की कुलदेवी नागणेची माता का मंदिर है  |


    जोधपुर किले की प्रमुख तोपे  Major cannons of Jodhpur Fort


1. शंभू बाण तोप  2.गजनी खां तोप 3. किलकिला तो

                                                                                                                            
 




 मुख्य बिंदु :-
 जोधपुर किले के बारे में सुप्रसिद्ध विद्वान जैकलीन कैनेडी ने मेहरानगढ़ दुर्ग को विश्व का आठवां आश्चर्य की संज्ञा दी |