✰✰✰✰ राजस्थान के प्रमुख आभूषण ✰✰✰✰
स्वयं को ढकने,ढापने की जरूरत से शुरू हुआ गहनों का निर्माण और धीरे-धीरे गहने हमारी जरूरत की बजाय सुंदर यह बहुत समृद्धि व अभिव्यक्ति का माध्यम बन गई | मुसीबत में यही गहने औरत के परिवार के आत्मसम्मान की रक्षा भी करते आए हैं |स्त्री की तो आभूषण के बिना कल्पना ही नहीं की जा सकती है |
मारवाड़ की कविता- गहणो भुखा रो भोजन अर धापिया रो सिणगार ||
स्त्रियों के आभूषण
सिर के आभूषण :- .
1.शीशफूल /सिरफूल / सेरज
2सिर मांग
3. गोफन
4. बोर/ बोरला
5.-रखड़ी -सुहाग का प्रतीक
6.पतरी
7. टिका/ तिलक
8.टीडी- भलको
9. टिकी /\ बिंदी
10. मैमद
11. मौङ / मुकुट - मौङ
12. झेला /बालियां
1.शीशफूल :-सिर के पीछे बालों में दोनों ओर सोने की बारीक सांकल बांधकर ललाट पर लटकाई जाती है, उसे सिर फूल या शीशफूल या सेरज़ कहा जाता है |
2 सिर मांग :-सुहागन स्त्रियों में के मांग (सिंदूर लगाने के स्थान पर ) तिल्ली के आकार का चेन से जुड़ा हुआ पहना जाने वाला गहना सिरमांग कहलाता है |
3.गोफण :- स्त्रियों के बालों की वेणी (बालों की छोटी-छोटी लट्ठे )में गुंथा जाने वाला आभूषण गोफण कहलाता है |
4.बोर /बोरला :- मोटे बेर के आकार में सोने- चांदी से बना हुआ आभूषण जिसके आगे के भाग में छोटे छोटे दाने उभरे हुए होते हैं ,उसके पीछे वाले भाग में एक छोटा हुक बना दिया जाता है इस हुक में धागा बांधकर महिलाए सिर के बालों के मध्य में ललाट पर लटकते हुए बधती है, बोर या बोरला कहलाता है |
5.रखड़ी :- सुहाग का प्रतीक है |रखड़ी / राखड़ी बोर के समान गोलाकार आकृति में होती है ,परंतु रखड़ी पर कीमती पत्थर के नगों की जडाई की जाती है| रखड़ी को भी सिर पर मांग के ऊपर बांधा जाता है, रखड़ी के पीछे लगाई जाने वाली सोने की छोटी हुक को सरी / बगड़ी कहते हैं |
6.पतरी :- रखड़ी के नीचे ललाट के दोनों और बालों के किनारे के साथ सोने का 3- 4 इंच चौड़ा पतर पथरी कहलाता है |
7.टीका या तिलक :- दो इंच परिधि का सोने की परत का बना हुआ फूल जिसमें नगीनों की जङाई की जाती है , टीका /तिलक कहलाता है ,इसे महिलाएं सोने की सांकली से मांग भरने की जगह सिर पर लटकाती है |
8. टिड्डी- भलको :-स्त्रियों की मांग भरने के नीचे ललाट पर पहना जाने वाला आभूषण टीडी भलको कहलाता है |
9. टिकी / बिंदी :-सुहागन स्त्रियों के माथे की शोभा बढ़ाने वाला यह आभूषण ,जिससे महिला ललाट के मध्य में लगाती है |
10.मैमद :-स्त्रियों के माथे पर पहनने का आभूषण जिस पर लोक गीत भी गाए जाते हैं |
11. मौङ -विवाह के अवसर पर दूल्हे -दुल्हन के कान व सिर पर बांधने का मौङ -मुकुट कहलाता है |इस मुकुट का प्रचलन ब्राह्मण व सुथार जाति में प्रमुखता से है |
12.झेला :-सोने या चांदी की 2-3 लड़े सांकले ,जो दोनों के पीओर कनपटियों केपिछे सिर के बालों में अटकाई जाती है ,जिन्हें कानों के टो िटयो से संबंध कर दी जाती है,झेला कहलाता है |
:-भीनमाल ( जालौर )क्षेत्र में बालियाँ कहते हैं |
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