सच्चियाय माता -ओसवाल जाति (ओसवाल श्वेतांबर जैन की कुलदेवी ) है | ओसिया का प्राचीन नाम उकेश या उपकेश था
जोधपुर से 65 किलोमीटर दूर पश्चिम में स्थित ओसिया गांव में प्रतिहार कालीन का सच्चियाय माता मंदिर है ,जो परमार एवं ओसवाल जाति (ओसवाल श्वेतांबर जैन की कुलदेवी ) है |
ओसिया का प्राचीन नाम उकेश या उपकेश था ,जो एक बड़ी नगरी थी, परंतु दुंडीमल नामक साधु के श्राप से यह नगरी उजड़ गई ,एक बार परमार वंश उपलदेव नामक राजकुमार ने यहा आकर शरण \ओसला) ली |अत:इस कारण इनका नाम ओसियां पड़ा
➤➤⮹𝧶ओसिया राजस्थान का एकमात्र स्थान है, जहां चार शतकों (8वीं-12वीं शातब्दी ) तक विभिन्न संप्रदायों के देव भवन बनते रहे | यहां वैष्णव ,सूर्य ,जैन एवं देवी मंदिर है |
सच्चियाय माता को संप्रदायिक सद्भाव की देवी कहते हैं | माता के मंदिर का निर्माण प्रतिहार शैली में करवाया गया | मंदिर में मूलतः प्रतिमा महिषासुर मर्दिनि की है |
➤➤⮹𝧶 सच्चियाय माता के मंदिर में सभा मंडप में रामायण की द्र्श्यावली उल्लेखनीय है | माता के मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर देवी के लिए शैलपुत्री का विरुद अंकित है |
➤➤⮹𝧶ओसियां गांव को ओसवालो का उद्गम स्थल माना जाता है |ओसिया में 10 वीं शताब्दी का बना हुआ सूर्य मंदिर भी स्थित है |
➤➤⮹𝧶ओसिया में तीन हरिहर मंदिर बने हुए हैं, (विष्णु व शिव के समन्वित रूप को हरिहर कहते हैं ) एक हरिहर मंदिर जगती पीठ पर भगवान बुद्ध को प्रदर्शित गया है |
ओसिया में पश्चिम भारत का प्राचीनतम महावीर स्वामी का जैन मंदिर बना हुआ है ,जिसका निर्माण वत्सराज प्रथम के समय किया गया है |
सच्चियाय माता की वास्तविक चमत्कार Sachiya Mata of Vastvika Chamatkar
उपलदेव के समय माताजी का चबूतरा खंडहर अवस्था में था | उपलदेव चबूतरे प्रणाम कर सो गया रात्रि में चामुंडा देवी प्रकट होकर उनसे पूछा, कि तुम कौन हो |तब परमार वंश राजकुमार उपल देव ने कहा कि मैं इस भूमि पर शहर बसाना चाहता हूं |
चामुंडा देवी ने उपलदेव को गड़ा हुआ धन, पत्थर की खान ,पानी आदि सामग्री बताते हुए कहा, कि पहले मेरा मंदिर बनाओ उसके बाद शहर बसाना
देवी का मंदिर बनाकर उपलदेव देवी से पूछा कि आपकी मूर्ति सोने या चांदी अथवा पत्थर की बनाऊं तब देवी ने कहा, मैं आज से 3 दिन बाद स्वयं पृथ्वी में से प्रकट होउगी ,लेकिन तुम हल्ला मत करना |
तीसरे दिन अपराहन के समय देवी जब पहाड़ में से प्रकट हुई ,तब आकाश में जोर से गरजना हुई, भूकंप आने लगा | घोड़े इधर-उधर दौड़ने लगे यह देखकर उपलदेव जोर से चिल्लाया
इस पर देवी आदि निकली आदि भूमि में ही रही उसमें देवी राजा पर कुपित हुई, परंतु फिर देवी ने उसे माफ कर दिया और उपलदेव मंदिर के सामने महल बनाकर रहने के लिए कहा |
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