पंचायती राज Panchayati Raj in India
लार्ड रिपन का 1882 का संकल्प स्थानीय स्वशासन के लिए मैग्नाकार्टा का हैसियत रखता है |
रिपन को भारत में स्थानीय स्वशासन का पिता कहा जाता है |
पंचायती राज व्यवस्था का मूल उद्देश्य :-विकास की प्रक्रिया में जन भागीदारी को सुनिश्चित करना तथा लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण को बढ़ावा देना है |
पंचायती राज का शुभारंभ ( Launch of Panchayati Raj ):- पंचायती राज का शुभारंभ स्वतंत्र भारत में 2 अक्टूबर 1959 को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री -जवाहरलाल नेहरू के द्वारा राजस्थान राज्य के नागौर जिले ( बगदरी गाँव ) में हुआ |
11 अक्टूबर 1959 ई. को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने आंध्र प्रदेश राज्य में पंचायती राज का शुभारंभ किया |
➢ ( अनुच्छेद 243 (ङ) के अनुसार ) :-पंचायत को यदि किसी विधि के अधीन पहले ही विघटित नहीं कर दिया जाता है, तो उसकी अवधि प्रथम अधिवेशन के लिए नियत तारीख से 5 वर्ष होगी |
➢ यदि किसी पंचायत को समय पूर्व विघटित कर दिया जाता है ,तो उसका निर्वाचन 6 महीने के भीतर शेष बचे हुए अवधि के लिए कराया जाता है ,
किंतु यदि पंचायत ऐसे समय विघटित किया जाता है ,जब उसकी अवधि 6 महीने से कम बची हो ,तो शेष अवधि के लिए निर्वाचन कराना जरूरी नहीं होता है |
➢ अनुच्छेद 243 के अनुसार :-पंचायतो का सदस्य बनने के लिए न्यूनतम आयु 21 वर्ष है |
चित्र :- पंचायती राज Panchayati Raj in Hindi
पंचायती राज व्यवस्था में सुधार हेतु गठित समितियां Committees formed to improve the Panchayati Raj system :- पंचायती राज व्यवस्था में सुधार हेतु गठित समितियां निम्न प्रकार है |
बलवंत राय मेहता समिति ➢ 1957
अशोक मेहता समिति ➢ 1977
पी.वी.के राय समिति ➢ 1985
एल.एम.सिंधवी समिति ➢ 1986
64 वा संविधान संशोधन ➢ 1989
73 वां संविधान संशोधन ➢ 1993
73 वां संविधान संशोधन - 1993 [73rd Constitutional Amendment - 1993 ] :-
73 वां संविधान संशोधन पंचायती राज से संबंधित है, इसके द्वारा संविधान के भाग 9 (अनुच्छेद 243 ) क से ण तक कुल 16 अनुच्छेद तथा अनुसूची-11 का प्रावधान किया गया है |
वर्ष 1986 में गठित एल .एम. सिंधवी समिति की सिफारिश के आधार 73वां संविधान संशोधन अधिनियम 1993 के द्वारा पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया
वर्तमान में पंचायती राज व्यवस्था नागालैंड, मेघालय तथा मिजोरम राज्य को छोड़कर अन्य सभी राज्यों में तथा दिल्ली को छोड़कर के अन्य सभी केंद्र शासित प्रदेश राज्य में लागू है |
73वां संविधान संशोधन की मुख्य बातें Highlights of the 73rd Constitutional Amendment :-
इसके द्वारा पंचायती राज के त्रिस्तरीय ढांचे का प्रावधान किया गया |
1.ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत ,प्रखंड स्तर पर पंचायत समिति तथा जिला स्तर पर जिला परिषद के गठन की व्यवस्था की गई है |
2. पंचायती राज व्यवस्था के प्रत्येक स्तर में एक -तिहाई (1/3) स्थान पर महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई है |
3.इसका कार्यकाल 5 वर्ष निर्धारित किया गया ,पंचायत भंग होने पर 6 महीने के अंदर निर्वाचन होंगे |
4.राज्य की संचित निधि से इन पंचायतों को अनुदान देने की व्यवस्था की गयी है |
नोट :-73वां संविधान संशोधन के बाद पंचायती राज अधिनियम के निर्माण करने वाला प्रथम राज्य कर्नाटक है |
74वां संविधान संशोधन :- 74 वां संविधान संशोधन नगरपालिका से संबंधित है ,इसके द्वारा संविधान के भाग-9 के अनुच्छेद 243 (त सेय,छ तक ) एवं 12वीं अनुसूची का प्रावधान किया गया है |
नगर पालिकाओं की 12वीं अनुसूची का वर्णित कुल 18 विषयों पर विधि बनाने की शक्ति प्रदान की गई है |
74वां संविधान संशोधन की मुख्य बातें Highlights of 74th Constitutional Amendment :
➢ नगर पालिका में महिलाओं के लिए एक / तीन (1/3 )का स्थान आरक्षित है |
➢ नगर पालिकाओं में अनुसूचित जाति तथा जनजाति के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई है |
➢नगरीय संस्थाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होगा ,विघटन की स्थिति में 6 महीने के अंदर चुनाव कराना है |
नगरपालिका के प्रकार Type of Municipality
नगर पालिकाओं के तीन प्रकार है :-
➢ (1) नगर पंचायत -ऐसा ग्रामीण क्षेत्र जो नगर क्षेत्र में परिवर्तित हो रहा है |
➢(2) नगर परिषद - छोटे नगर क्षेत्र के लिए |
➢(3) नगर निगम - बड़े नगर क्षेत्र के लिए
नोट :- नगर निगम की स्थापना सर्वप्रथम मद्रास में 29 सितंबर 1688 ई. में की गई थी | 1688ई. में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने मद्रास में नगर निगम बनाने की अनुमति दी है |
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